मेदांता लखनऊ में हुआ सफ़लतापूर्वक 50वां लिवर ट्रांसप्लांट

लखनऊ, 20 जून, 2024: लखनऊ के मेदांता में हाल ही में 50वीं लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी सफलतापूर्वक पूरी की गई है। यह मध्य/पूर्वी उत्तर प्रदेश में किसी एक हॉस्पिटल द्वारा किए गए सबसे अधिक लिवर ट्रांसप्लांट हैं। डॉ. ए.एस. सोइन, चेयरमैन और चीफ लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन ने कहा कि यह क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और स्थानीय मरीजों के लिए एक बड़ी राहत है क्योंकि अब उन्हें लिवर ट्रांसप्लांट के लिए राज्य से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है। लखनऊ के मेदांता में ही अत्याधुनिक लिवर प्रत्यारोपण की सुविधाएं उपलब्ध हैं।
यह ट्रांसप्लांट 3 साल के बच्चों से लेकर 61 साल के बुजुर्गों तक में किए गए, जिनमें मध्य/पूर्वी उत्तर प्रदेश में लिवर ट्रांसप्लांट कराने वाले सबसे छोटे और सबसे बुजुर्ग मरीज हैं। अधिकांश मरीज (17) लखनऊ से थे, इसके बाद प्रयागराज (8) और बाकी वाराणसी, गोरखपुर, फैजाबाद, कानपुर, उन्नाव, मथुरा आदि से थे, जो पूरे मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश को कवर करते हैं। यमन से आया हुआ एक 31 वर्षीय पुरुष मरीज का भी लखनऊ के मेदांता में आपातकालीन जीवन रक्षक ट्रांसप्लांट किया गया, वह इस क्षेत्र में सफल लिवर ट्रांसप्लांट कराने वाला पहला अंतरराष्ट्रीय मरीज है। डॉ. प्रशांत भंगुई, एसोसिएट डायरेक्टर, लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी, मेदांता लखनऊ ने बताया कि यमन से आए मरीज का भाई सऊदी अरब से अपने भाई के लिए लिवर दान करने आया था। दोनों भाई एक महीने के भीतर ही स्वस्थ होकर वापस लौट गए। यह उपलब्धि उत्तर प्रदेश में मेडिकल टूरिज्म के द्वार खोलती है। शराब सेवन के कारण 34 फीसदी रोगियों में लिवर खराब होने का मुख्य कारण शराब का सेवन पाया गया है। इसके बाद 22 फीसदी रोगियों में एमएएसएच (फैटी लिवर और इसकी जटिलताएं) थी। डॉ. विवेक गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट और लीवर प्रत्यारोपण सर्जन, मेदांता लखनऊ ने कहा कि 2050 तक फैटी लिवर और डायबिटीज लिवर की क्षति का सबसे बड़ा कारण बनने की संभावना है। जीवनशैली में बदलाव और मधुमेह प्रबंधन से ऐसे मरीजों में लीवर की क्षति को रोका जा सकता है। लिवर कैंसर और हेपेटाइटिस (बी और सी) के लिए लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी की गई। एडवांस्ड स्टेज के लिवर कैंसर के लिए लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र संभव इलाज हो सकता है और इससे कैंसर का पूर्ण इलाज हो सकता है। मेदांता लखनऊ में सभी उन्नत तकनीकें (ट्रांस आर्टेरियल रेडियो एम्बोलाइज़ेशन, ट्रांस आर्टेरियल केमो एम्बोलाइज़ेशन, पीईटी सीटी, बाह्य किरण रेडियोथेरेपी आदि) उपलब्ध हैं, जो उन मामलों का भी इलाज कर सकती हैं जिनमें वाहिकाएं (पोर्टल वेंस) शामिल होती हैं। एक अन्य बड़ा समूह एक्यूट लिवर फेल्यर (14 फीसदी) का था, जो मुख्य रूप से बच्चों और युवा वयस्कों में होता है। डॉ. अभय वर्मा, डायरेक्टर, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, मेदांता लखनऊ ने कहा कि इन मरीजों को कुछ घंटों के भीतर इमर्जेंसी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है, अन्यथा वे जीवित नहीं रह सकते। ये मरीज बहुत बीमार और इनकी स्थिति चुनौतीपूर्ण होती है, आमतौर पर ऐसे मरीज वेंटिलेटर पर होते हैं और कोमा में जा चुके होते हैं। ऐसे मरीजों के लिए ट्रांसप्लांट से संबंधित सभी औपचारिकताओं को कुछ घंटों में ही पूरा करना पड़ता है। मेदांता अस्पताल लखनऊ ने इस क्षेत्र में सबसे अधिक संख्या में एएलएफ मामलों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। मेदांता हॉस्पिटल उन सभी डोनर्स के प्रति आभार प्रकट करता है, जिन्होंने अपने लिवर का एक हिस्सा देकर अपने प्रियजनों की जान बचाई। इनमें से ज़्यादातर (42 फीसदी) डोनर मरीज़ के जीवनसाथी (पति/पत्नी) थे। इसके बाद, 22 फीसदी मामलों में बेटे-बेटियों ने अपनी माँ-बाप के लिए, 14 फीसदी मामलों में भाई-बहनों ने एक दूसरे के लिए और 10 फीसदी मामलों में माओं ने अपने बच्चों के लिए अंगदान किया। अन्य डोनर्स में चचेरे भाई-बहन, भतीजे-भतीजियां और अन्य रिश्तेदार शामिल थे। इन सभी डोनर्स ने अपने प्रियजनों को दूसरा जीवनदान देकर एक महान कार्य किया है mydanta LUCKNOW

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