ज़ेनिक्स ट्रायल के परिणामों ने ड्रग रेज़िस्टेन्ट टीबी के मामलों में बीपाल उपचार प्रभावि

लखनऊ तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल ज़ेनिक्स, जिसका आयोजन जॉर्जिया, मोलदोवा, रूस और दक्षिण अफ्रीका की 11 साईट्स पर किया गया, ट्रायल के परिणामों में पाया गया कि टीबी के उच्च ड्रग- रेज़िस्टेन्ट स्ट्रेन के मामले में बीपाल उपचार प्रभावी रहता है अगर उपचार के दौरान लिनेज़ोलिड अवयव को कम खुराक में और / या कम अवधि के लिए दिया जाए। मेल स्पाइगेलमैन, एमडी, प्रेज़ीडेन्ट एवं सीईओ, टीबी अलायन्स ने कहा। यह संस्था प्रीटोमेनिड के विकास और इस उपचार के उपयोग में अग्रणी रही है। ‘‘आने वाले समय में भी हम टीबी के आधुनिक उपचार पर काम करना जारी रखेंगे, जब तक कि टीबी के हर मरीज़ के लिए बेहद विषैली थेरेपियों की आवश्यकता को खत्म किया जा सके। अध्ययन के परिणामों में पाया गया कि एम बीपाल उपचार की प्रभाविता को बरक़रार रखा जा सकता है अगर मरीज़ को लिनेज़ोलिड और इससे जुड़े साईड इफेक्ट्स के संपर्क में कम आने दिया जाए। मरीज़ों में एक्सटेंसिंव ड्रग रेज़िस्टेन्ट (एक्सडीआर- टीबी) टीबी, प्री-ंउचय एक्सडीआर-ंटीबी का निदान किया गया था, अथवा ये मरीज़ ऐसे थे जिन पर उपचार का कोई असर नहीं हुआ था या ये इनटॉलरेन्ट मल्टी-ंड्रग रेज़िस्टेन्ट टीबी के मामले थे।’ ‘‘इस अध्ययन के परिणाम उपचार की प्रभाविता की पुष्टि करते हैं। यह देखकर अच्छा लगा है कि हम मरीज़ों के लिए इलाज के अनुभव को बेहतर बनाकर उपचार की सफलता की संभावना को भी ब-सजय़ा सकते हैं।’’ फ्रैंकेसका कोनरेडी, एमडी. प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर, ज़ेनिक्स ट्रायल और उपचार के लिए साउथ अफ्रीका क्लिनिकल एक्सेस प्रोग्राम ने कहा। ज़ेनिक्स के आंकड़ों को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मई 2022 रैपिड कम्युनिकेशन के नए निर्देशों में शामिल किया गया है, जिसके द्वारा बीपाल उपचार से डीआर-ंउचयटीबी के सभी मरीज़ों का इलाज वर्चुअल तरीके से किया जा सकेगा। उन मरीज़ों में प्रभाविता बरक़रार रखने के साथ- साथ, लिनेज़ोलिड से जुड़े साईड इफेक्ट्स में कमी आई, जिन्हें इस अवधि के दौरान कम खुराक में लिनेज़ोलिड दिया गया था। विश्वस्तरीय गैर-ंलाभ टीबी ड्रग डेवलपर- टीबी अलायन्स के नेतृत्व में किए गए ट्रायल के परिणामों को आज न्यू इंगलैण्ड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित किया गया। बीपाल उपचार में एंटीबायोटिक बैडएक्विलिन प्रीटोमेनिड और लिनेज़ोलिड का संयोजन दिया जाता है- सबसे पहले अगस्त 2019 में युनाईटेड स्टेट्स फूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा इसे विनियामक अनुमोदन दिया गया। मुंह से खाई जाने वाली तीन दवाओं का यह संयोजन छह माह के लिए मल्टीड्रग-ंरेज़िस्टेन्ट टीबी के मरीज़ों को दिया जाता है, जो इससे पहले दिए गए उपचार के लिए प्रतिक्रिया न दे रहे हों और और व्यापक ड्रग- रेज़िस्टेन्ट टीबी से पीड़ित हों । आमतौर पर देखा गया है कि ऐसे मामलों में टीबी के उपचार के लिए 18 माह या इससे अधिक समय लगता है और दुनिया भर में इसमें सफलता दर 52 फीसदी पाई गई है। बीपाल को अब दुनिया के 30 से अधिक देशों द्वारा अपनाया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में प्रीटोमेनिड से युक्त उपचार के चिकित्सकीय प्रमाणों पर आधारित ड्रग रेजिस्टेन्ट टीबी के उपचार के अपडेटेड निर्देशों पर रैपिड कम्युनिकेशन का प्रकाशन किया, जिसके आधार पर डीआर- टीबी के सभी मरीज़ों का उपचार छह माह के अंदर किया जा सकेगा, खास बात यह है कि पूरे उपचार के दौरान इन्हें सिर्फ मुंह से खाने वाली दवा ही दी जाएगी। ‘ये परिणाम बीपाल उपचार की प्रभाविता और सुरक्षा के लिए साक्ष्य आधारित प्रमाण प्रस्तुत करते हैं और इनकी मदद से सेवा प्रदाता इस उपचार का बेहतर उपयोग कर सकेंगे। भारत में सरकार के नेतृत्व में किए गए अध्ययन बीपाल शुरूआत अक्टूबर 2021 में हुई और अब नियोजित 11 में से तीन साईट्स पर मरीज़ों का नामांकन किया जा रहा है। 400 मरीज़ों का नामांकन करने के बाद 2023 में इसे पूरा करने की योजना बनाई गई है। 2.6 मिलियन मामलों के साथ भारत में टीबी का बो-हजय दुनिया में सबसे अधिक है, जहां हर साल टीबी के कारण तकरीबन 450,000 लोगों की मृत्यु हो जाती है। यह दुनिया भर में रोग के बो-हजय का एक चौथाई हिस्सा बनाता है। दुनिया भर में डीआर-ंटीबी के कुल मामलों में से एक चौथाई मामले भारत में हैं और इनमें से 50 फीसदी से भी कम मरीज़ों में उपचार के परिणाम सफल रहते हैं। जेनिक्स एक यादृच्छिक अध्ययन था जिसमें कुल 181 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इनमें से 36 एचआईवी पॉज़िटिव थे। छह महीने के लिए उनका इलाज बैडएक्विलिन, प्रीटोमोनिड और लिनेज़ोलिड की अलग-ंउचय अलग खुराक एवं अलग-ंउचय अलग अवधि के साथ किया गया। छह माह तक उपचार के बार ज़रूरी फॉलो-ंअप किए गए। ---------------------------------------------- TB In India

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