बढ़ता तापमान किडनी मरीजों के लिए हानिकारक - डा. दीपक

लखनऊ। उत्तर भारत में तापमान गर्मी में अधिक होने से लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है, ऐसे में नेफ्रोलॉजिस्ट ने किडनी मरीजों से अपनी सेहत को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी है क्योंकि शोध के अनुसार बढ़ता तापमान किडनी की बीमारियों से पीडि़त मरीजों के लिए हानिकारक हो सकता है। रीजेंसी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल लखनऊ के डॉक्टर्स ने कहा डीहाइड्रेसन से ब्लड प्रेशर कम होता है और जिससे किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है इस वजह से किडनी फेल हो जाती है। यह पाया गया है कि 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर शरीर का तापमान किडनी के लिए कई समस्याएं पैदा कर सकता है। बुखार व दर्द के इलाज के लिए लोग अक्सर नॉन.स्टेरायडल एंटी इनफ्लेमेटरी दवाएं एनएसएआईडी जैसे इबुप्रोफेन, वोवेरन, एक्लेक्लोफेनाक एटोरिकॉक्सीब इंडोमेथेसिन लेते हैं। इन दवाओं से एक्यूट किडनी फेलियर होता है। रीजेंसी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल लखनऊ के डायरेक्टर रीनल साइंसेज डॉ दीपक दीवान ने कहा जिन लोगों में हृदय, श्वसन और किडनी की बीमारी और डायबिटीज होती है उन्हें गर्मी से संबंधित बीमारी का खतरा होता है। इसके अलावा गरीब और स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित आबादी को भी किडनी की बीमारी होने की संभावना होती है। यह ज़रूरी है कि ऐसे लोग शरीर में द्रव का संतुलन बनाए रखें और उमस भरे मौसम में ठंडे वातावरण में रहें। अगर बाहर निकलते हैंए तो शरीर को ठीक से ढक ले ताकि गर्मी सीधे त्वचा पर न पड़ें। अगर कोई बहुत ज्यादा बेहोशी और गर्मी से त्रस्त है पेशाब नहीं कर रहा है और तेजी से सांस ले रहा, तो उस व्यक्ति को तुरंत अस्पताल ले जाएं। इस तरह के केस मे मरीज़ को इमरजेंसी सेवाओं तक पहुँचाना सबसे महत्वपूर्ण होता है। कई क्रोनिक किडनी बीमारी और डायलिसिस के मरीजों को गर्मी के दिनों में बाहर जाने से बचना चाहिए क्योंकि गर्मी उनके स्वास्थ्य पर कहर ढा सकती है। चूंकि किडनी की बीमारी वाले लोगों को अक्सर किडनी के बेहतर कामकाज के लिए मध्यम शारीरिक गतिविधि करने का सुझाव दिया जाता है, इसलिए उन्हें गर्मियों मे एक्सरसाइज शुरू करने से पहले अपने नेफ्रोलॉजिस्ट से जांच करानी चाहिए। किडनी फेलियर तब होता है जब हमारी किडनी हमारे खून से अपशिष्ट को पर्याप्त रूप से फिल्टर की क्षमता खो देती हैं। कई फैक्टर हमारे किडनी के स्वास्थ्य और फं क्शन में बाधा डाल सकते हैं। एक्यूट और क्रोनिक बीमारियों गंभीर डीहाइड्रेसन पर्यावरण प्रदूषको आदि से किडनी का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। डॉ आलोक पांडे कंसलटेंट नेफ्र ोलॉजी व रीनल ट्रांसप्लांट रीजेंसी सुपर.स्पेशियलिटी हॉस्पिटल लखनऊ ने कहा हमें न केवल पूर्व वार्निंग सिस्टम चेतावनी प्रणालियों पर आधारित सार्वजनिक स्वास्थ्य योजनाओं की आवश्यकता है जो जोखिम की स्थितियों की पहचान और अनुमान लगाने में सक्षम हों, बल्कि किडनी की बीमारी से ग्रसित खतरे वाले आबादी की निगरानी और जांच करने के लिए भी जागरुकता कार्यक्रमों की आवश्यकता है। हमें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने और कम करने के उपायों को बढ़ावा देने के लिए नागरिकों, राजनेताओं और हेल्थ प्रोफेसनल के बीच जागरूकता बढ़ानी चाहिए। इससे रिसर्च और तकनीकी विकास को प्रोत्साहन मिलेगा। किडनी की गंभीर बीमारी और डायलिसिस के हर मरीज़ को अपने सेहत की रक्षा करने और अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए धूप और गर्मी के महीनों के दौरान महत्वपूर्ण सावधानियां बरतनी चाहिए- डायलिसिस मरीजों को तैराकी के लिए जाते समय हमेशा अपने डायलिसिस एक्सेस को एक सुरक्षात्मक ड्रेसिंग के साथ कवर करना चाहिए। डायलिसिस मरीजों को गर्मी के गर्म महीनों के दौरान तरल पदार्थ का सेवन बराबर बनाए रखना चाहिए। अपनी प्यास को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए अपनी गर्दन के चारों ओर बंद कपडा या एक टोपी पहनकर ठंडा रहने की कोशिश करना चाहिए। किडनी की क्रोनिक बीमारी डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के मरीजों को सनस्क्रीन लगाना चाहिए। शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। बेहतर सलाह के लिए अपने नेफ ्रोलॉजिस्ट से संपर्क करें। -------------------------------------------------------------------------------------------------- Dr Deepak Deevan REGENCY HOSPITAL LUCKNOW

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