क्रोनिक किडनी रोग मामलों में 60 प्रतिशत मामले डायबिटीज और हाइपरटेंशन के

क्रोनिक किडनी रोग मामलों में 60 प्रतिशत मामले डायबिटीज और हाइपरटेंशन के महिलाओं एवं पुरुषों में आम हो रही वॉइडिंग डिसफक्शन की समस्या लखनऊ। इंडियन मेडिकल एसो की ओर से रिवर बैंक कालोनी के आईएमए भवन में मेदांता हॉस्पिटल के विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ इंटरेक्टिव सेशन का आयोजन किया गया। इसमें मेदांता के नेफ्र ोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ आर के शर्मा ने क्रोनिक किडनी डिजीज एवं हाइपरटेंशन मैनेजमेंट विषय पर चर्चा की। हीं मेदांता के डॉ एके ठक्कर ने पहले 24 घंटे स्ट्रोक के विषय पर चर्चा की और किडनी एवं यूरोलॉजी संस्थान के डायरेक्ट डॉ मयंक मोहन अग्रवाल ने वॉइडिंग डिसफंक्शन विषय पर अपने विचार रखे। डॉ एके ठक्कर ने कहा ब्रेन स्ट्रोक से पीडि़त मरीज की जान स्ट्रोक के 16, 24 घंटे के दौरान तक बचाई जा सकती है। स्ट्रोक में 16, 24 घंटे में यदि मरीज अस्पताल में पहुंचते हैं तो थ्रांबेक्टॉमी से इलाज किया जा सकता है। थ्रंबोक्टॉमी नाम की तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इसमें पैर के नस से एक कैथेटर को दिमाग के उस हिस्से में पहुंचाया जाता है जहां रक्त का थक्का जमा हुआ है। उसके बाद उसे कैथेटर के जरिए वहां से निकला लिया जाता है। डॉ आर के शर्मा ने बताया प्रत्येक वर्ष भारत में तकरीबन 2 लाख 20 हजार मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है और इन्हें डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है। वहीं क्रोनिक किडनी रोग सीकेडी मामलों में से लगभग 60 से 70 प्रतिशत मामले डायबिटीज और हाइपरटेंशन के कारण होते हैं। उन्होंने कहा समय पर किडनी की बीमारियों का पता न लगने पर कुछ महीने या फिर साल बाद यह एक गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है। जिसके चलते किडनी प्रत्यारोपरण की स्थिति मरीज के सामने पैदा हो जाती है। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा नमक और तेल के कम इस्तेमाल से हाइपरटेंशन और किडनी की बीमारियां ही नहीं डायबिटीज और मोटापे जैसी गंभीर समस्याओं से भी आराम मिलता है। इसलिए आप सभी को यह सलाह दी जाती है कि रोजाना की डाइट में कम से कम नमक का सेवन करें और घर की महिलाओं को नमक के सीमित उपयोग के बारे में जागरूक करें। किडनी एवं यूरोलॉजी संस्थान के डायरेक्ट डॉ मयंक मोहन अग्रवाल ने वॉयडिंग डिसफंक्शन विषय पर चर्चा करते हुए कहा महिलाओं एवं पुरुषों में वॉइडिंग डिसफंक्शन एक आम समस्या है, लेकिन अक्सर इसे नजर अंदाज कर दिया जाता है, शायद शर्मिंदगी के कारण या इसे सामान्य उम्र बढऩे की प्रक्रिया का एक हिस्सा मानने के कारण। हालांकि यह महिलाओं के जीवन पर भी काफी प्रभाव डालता है। महिलाओं में वॉयडिंग डिसफ ंक्शन का निदान चुनौतीपूर्ण है। चिकित्सकों को इस स्थिति के निदान के लिए जांच के परिणामों पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया वॉयडिंग डिसफं क्शन तब होता है जब मूत्र भरने और खाली करने में असामान्यताएं होती हैं। हालांकि यह समस्या महिलाओं और पुरुषों दोनों को प्रभावित कर सकती है। आईएमए के अध्यक्ष डॉ मनीष टंडन व सचिव डॉ संजय सक्सेना ने कार्यक्रम में आए सभी वक्ताओं की प्रशंसा की और सीएमई के आयोजन के लिए मेदांता अस्पताल का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में लखनऊ के 130 से अधिक चिकित्सकों ने भाग लिया। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ Mydanta Hospital

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