डीएनए जघन्य यौन अपराधों के लिए न्याय का उपकरण:डा.पिंकी
डीएनए जघन्य यौन अपराधों के लिए न्याय का उपकरण:डा.पिंकी लखनऊ। पिछले कुछ महीनों में महत्वपूर्ण आंदोलनों से पता चलता कि देश आपराधिक न्याय प्रणाली के हिस्से के रूप में डीएनए प्रौद्योगिकी को और अधिक प्रमुखता से स्थापित करने की दिशा में काम कर रहा है। डीएनए बुनियादी ढांचे और जनशक्तिको मजबूत करने के लिए किए गए उपाय राष्ट्रीय डीएनए डेटाबेस के लिए तैयारी के निर्माण में लंबा रास्ता तय करेंगे, अगर डीएनए प्रौद्योगिकी विनियमन विधेयक-2019 संसद में इस शीतकालीन सत्र में आगे बढ़ सकता है। डीएनए इन्फ्रास्ट्रक्चर की नींव बनाने की दिशा में सकारात्मक आंदोलनों पर बोलते हुए भारत की वरिष्ठ अधिवक्ता उच्चतम न्यायालय डॉ पिंकी आनंद ने एक सेमीनार में कहा विज्ञान की उन्नति और डीएनए की उपयोगिता पीडि़तों के लिए विशेष रूप से जघन्य यौन अपराधों के लिए न्याय का एक उपकरण है। डीएनए सबूत को पहली बार 1985 में स्वीकार किया गया था। तब से डीएनए का उपयोग अभियुक्तों की पहचान करने और उन्हें पकडऩे के लिए तेजी से किया जाने लगा एक ताजा उदाहरण गुडिय़ा मामला है जहां एक सामूहिक बलात्कार और हत्या को डीएनए सबूत द्वारा सुलझाया गया था और आरो...