जैम पोर्टल बना भ्र्ष्टाचार का केंद्र
जैम पोर्टल बना भ्र्ष्टाचार का केंद्र
भारत सरकार की अतिमहत्वपूर्ण योजना "जैम पोर्टल" भ्र्ष्टाचार का केंद बना हुआ है जिसके सम्बन्ध में अनेको बार पत्र एवं ट्विटर के माध्यम से सूचित कर चुका हूँ ये जैम पोर्टल स्टार्ट-अप कंपनियों के लिए एक काल के रूप में कार्य कर रहा है स्टार्टअप कंपनियां जैम के तानाशाही नियम एवं शर्तों के द्वारा रौंदी जा रही है आज का समय बहुत ही बहुमूल्य है क्योकि पूरे एक वर्ष कोविड -19 से युध्य के पश्चात स्टार्टअप कंपनियां पुनः अंकुरित होने का प्रयास कर रही है परन्तु जैम में व्याप्त भ्र्ष्टाचार के पालन पोषण के लिए जैम के द्वारा बनाये गए कठोर नियम एवं शर्तों से स्टार्ट-अप कंपनियां रौंदी जा रही हैं ! उक्त बातें इंडियन स्टार्टअप यूनियन के राष्ट्रीय संयोजक श्री शुधेस्वर श्रीवास्तव जी लखनऊ के एक रेस्ट्रा में प्रेस वार्ता के दौरान कही ! श्री श्रीवास्तव जैम पर आरोप लगाते हुए तत्थ्यो के साथ कहा कि जब क्रेता किसी कंपनी को डायरेक्ट L1 आर्डर देता है और जैम द्वारा उस विभाग के पेमेंट स्टेटस को रेड जोन में रखा गया है जिसके कारण विक्रेता उसके कार्यादेश को स्वीकार नहीं करता उस दशा में विक्रेता के ऊपर कठोर कार्यवाही कि जाती है और क्रेता (विभाग ) के लिए कार्यवाही नहीं की जाती ये कहाँ का न्याय है , इस दशा में स्टार्टअप कंपनियां 45 दिनों के लिए बंद कर दिया जाता है जिसके कारण रोजगार छिन जाने से कर्मचारियों एवं कंपनियों को भुखमरी का सामना करना पड़ता है , जैम पोर्टल पर जब किसी प्रोडक्ट को बिड हेतु अपलोड किया जाता है तो न ही उसका कोई मानक है न ही दर सुनिश्चित है न ही उसके किसी प्रकार के मूल्यांकन पर जेम की कोई ज़िम्मेदारी है कोई भी जब चाहे जितना चाहे रेट घटा और बढ़ा सकता है जिसमे स्टार्टअप व्यसायी की आर्थिक हत्या हो रही है , किसी भी कंप्यूटर में विंडोस का महत्वपूर्ण स्थान है जिसे फ़र्ज़ी पाइरेटेड तरीके से कंप्यूटर में अपलोड/इंसटाल कर दिया जाता है और विभाग में अपूर्ति कर दी जाती है जिससे की सरकार को बहुत बड़ी आर्थिक क्षति पहुँचती है एवं साइबर क्राइम की सम्भवना कई गुना बढ़ जाती है जिसके लिए जैम कही से जिम्मेदारी नहीं लेता ,जब विक्रेता किसी उत्पाद को जैमपोर्टल पर अपलोड करता है उस समय प्रोडक्ट मार्केट में उपलब्ध होता है इस प्रकार के हज़ारो प्रोडक्ट अपलोड होते है जिसका L1 दर पर आर्डर भी आ जाता है संयोगवस प्रोडक्ट की उपलब्धता कभी -कभी शून्य होती है जिसके कारण विक्रेता अपूर्ति करने हेतु निर्धारित समय में अक्षम होता है जिसके कारण क्रेता स्वयं इंसिडेंट जनरेट कर देता है अथवा जैम में आटोमेटिक जनरेट हो जाता है और विक्रेता को वाच लिस्ट में डाल दिया जाता है जिसके लिए क्रेता पक्ष को सुना नहीं जाता और विक्रेता पक्ष घोर अपराधी समझा जाता है , विक्रेता द्वारा आदेशानुसार अपूर्ति करा देने के पश्चात भी अनेकोबार विक्रेता द्वारा निर्धारित अवधि में भुगतान नहीं किया जाता जिसके लिए जैम किसी प्रकार की ज़िम्मेदारी नहीं लेता , किसी प्रकरण में विक्रेता जैम को चाहे जितना भी मेल करले परन्तु जेम द्वारा आटोमेटिक जनरेटेड मेल ही आता है और उस पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है जैम का काल सेंटर मात्र एक बकवास करने का केंद्र है जो कि इंसिडेंट अथवा किसी प्रकार के कार्यवाही से सम्बंधित कोई भी ज़िम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता ,भारत सरकार में जैम मात्र एक ऐसा विभाग है जिसमे आज भी कोई अधिकारी कार्यालय नहीं आता और कोविड के बहाने घर से काम करने का दिखावा कर रहे है जिसके कारण किसी भी पीड़ित कंपनी की कोई भी बात सुनी नहीं जाती जिसका मात्र एक कारण भ्र्ष्टाचार है जो कि आसानी और स्वच्छ तरिके से घर से किया जा रहा है , आदरर्णीय प्रधानमंत्री जी की प्रमुख योजना जैम पोर्टल भ्र्ष्टाचार के भेट चढ़ा हुआ है जिसका मुख्य कारण जैम के अधिकारियो एवं कर्मचारियों में व्याप्त भ्रष्टता , घर से कार्य करना , किसी भी प्रकार की ज़िम्मेदार न लेना ,ये सब लाल फीताशाही के उपासक है ,कभी-कभी डिलवरी क्रेता के लोकेशन पर पहुंच जाता है परन्तु क्रेता निर्धारित अवधि में मटेरियल रिसीव नहीं करता और समय उपरांत कार्यादेश निरस्त कर देता है इस संबंध में भी जैम कही से भी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेता जिसका पूरा नुकसान कंपनियों को भुगतना पड़ता है , क्रेता निर्धारित अवधि में विक्रेता को भुगतान नहीं करता इनवॉइस जनरेट होने के तत्पशचात विक्रेता को GST जमा करना पड़ता है जिसे विलम्ब होने की दशा में विक्रेता को आर्थिक दंड का भुगतान करना पड़ता है जिसके संबंध में भी इस क्षति पूर्ति का जैम कोई भी ज़िम्मेदारी नहीं लेता , जैम में प्री डिलवरी इंस्पेक्शन का कोई प्रावधान नहीं है न उपकरणों का कोई मानक जिसकी वजह से बहुत सारे घटिया प्रोडक्ट्स की विभागों में आपूर्ति हो जाती है और सरकार को भारी नुकसान का सामना करना पड़ जाता है ,इंसिडेंट के क्रम में जैम क्रेता और विक्रेता दोनों को एक साथ नहीं बुलाता न ही विक्रेता की कोई दलील सुनता है और एकपक्षीय क्रेता के पक्ष में निर्णय लेते हुए विक्रेता को सजा दे देता है , भारत सरकार ने स्टार्टअप एवं ऍम० एस० ऍम० ई० के माध्यम से छोटे व्यवसायियो को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है और स्टार्टअप एवं ऍम० एस० ऍम० ई० होल्डर कंपनी को ई ऍम डी में में पूर्णतया छूट हैं परन्तु विक्रेता अपने स्वयं के नियमानुसार बिड बनाते हुए कोई भी छूट नहीं देता और तत्कालीन सरकार को ठेंगा दिखा रहा है , पी० ए० सी० बिड और सामान्य बिड दोनों में क्या अंतर है और क्यों किया जाता है क्या यह भ्र्ष्टाचार की ओर इशारा नहीं करता, कभी-कभी विक्रेता बिड करने के उपरांत L1 हो जाता है परन्तु विभाग द्वारा मनचाहे कंपनी को कार्यदेश न मिल पाने के कारण विभाग बिड ही निरस्त कर देता है , भारत सरकार के शासनादेश सं० (संलंघन ) NO - F . 9/4/2020 - PPD का सन्दर्भ ग्रहण करें जिसके माध्यम से PBG 10 अथवा 5% के स्थान पर 3% लिया जायेगा और पूर्ववत PBG में बदलाव कर 3% ही लिया जायेगा परन्तु जैम शासनदेश को बताते हुए अभी तक कोई भी बदलाव नहीं किया ,अनेको बार क्रेता की आपूर्ति पूर्ण हो जाने के पश्चात भी क्रेता जैम पोर्टल पर डिलेवरी रिसीव अपडेट नहीं करता !श्री शुधेस्वर श्रीवास्तव जी ने पुरे मामले को गंभीरता से उठाते हुए प्रधानमंत्री जी से संज्ञान लेने हेतु निवेदन किया है कि उक्त समस्त बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए नियमो में बदलाव किया जाये जिससे कि भ्र्ष्टाचार पर लगाम लगाया जा सके और स्टार्ट-अप कंपनियों का शोषण न हो जिससे उन्हें भी उत्थान का मौका मिले राष्ट्रीय संयोजक जी ने कहा कि एक बात स्पष्ट करना चाहूँगा कि उक्त खामियों से जैम पर पंजीकृत हर प्रकार की कम्पनियाँ परेशान है , और विभाग धन उगाही कर संतुष्ट, इस भ्र्ष्टाचार को समाप्त किया जा सकता है , यदि इस पोर्टल में बदलाव किया जाये तथा यह भी कहा कि यदि सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी तो मज़बूर होकर आंदोलन का सहारा लेना पड़ेगा और अपने देश के व्यवसायियों के लिए किसी भी हद तक संघर्ष करने को तैयार हूँ
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