कोलेस्ट्राल लेबल बडऩे से लीवर की बीमारियों का खतरा : डा. प्रवीण
कोलेस्ट्राल लेबल बडऩे से लीवर की बीमारियों का खतरा : डा. प्रवीण
लखनऊ: जहाँ हम सब सर्दियों के मौसम का आनंद उठा रहे है वही अब न्यू ईयर की पार्टियों की भी तयारी और हलचल शुरू हो चुकी है। इस दौरान एल्कोहल, मीठा और ऑयली खाना भी लोगों द्वारा रेगुलर खाया जाता है। रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ के डाक्टरों ने लोगों को सलाह दी है कि जो भी खाएं उसके प्रति सतर्क रहें नहीं तो उनमे फैटी लीवर की बीमारियाँ बढ़ सकती है। डाक्टरों ने यह भी सलाह दी है कि कोलेस्ट्राल को कंट्रोल करके रखें और एल्कोहल से सम्बंधित डिसऑर्डर से बचें रहें।
इसके अलावा ब्राजील में हुई एक रिसर्च में बताया गया है कि सर्दियाँ शुरू होने पर कोलेस्ट्राल का लेवल बढ़ता है और जब गर्मियों का मौसम आता है तो घटता है। सर्दियों में लोग एक्सरसाइज कम करते हैं और घर के अंदर ज्यादा रहते हैं और इसलिए उन्हें सूर्य की रोशनी कम मिल पाती है। जब सूर्य की रोशनी कम मिलती है तो उनमे विटामिन डी भी कम होता है। इससे कोलेस्ट्राल प्रभावित होता है। इन सभी चीजों की वजह से फैटी लीवर की बीमारियाँ बढ़ती है। इन बीमारियों की वजह से लीवर डैमेज भी हो सकता है, कुछ केसेस में लीवर डैमेज और मरीज की हालत के आधार पर कम्प्लीट लीवर ट्रांसप्लांट भी कराना पड़ सकता है।
डॉ प्रवीण झा, एमडी, डीएम, कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल ने कहा, " लीवर मानव शरीर का सबसे बड़ा आंतरिक अंग है जो शरीर के अन्य भागों द्वारा उपयोग किए जाने वाले केमिकल फ्लो के लिए जिम्मेदार है। इसका काम है शरीर में इन केमिकल को तोड़ना और डिटॉक्सिफाई करना । अक्सर लोग नए साल और क्रिसमस पार्टियों में शराब का सेवन और ऑयली खाना खाते है, सर्दियों में तो लोग शराब का सेवन और अधिक करते है, अधिक शराब के सेवन से अल्कोहल - लीवर सिरोसिस हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप लीवर में डैमेज या डिसफंक्शन हो सकता है । साथ ही सर्दियों में कोलेस्ट्राल के लेवल में उतार चढ़ाव होता है, जिससे कई फैटी लीवर की बीमारियाँ जन्म लेती है। हमारा लीवर 75% बॉडी कोलेस्ट्रॉल का उत्पादन करता है। जबकि बाकी का कोलेस्ट्राल हम जो भी खाते हैं उससे मिलता है। कोलेस्ट्रॉल हार्मोन और विटामिन डी के उत्पादन में भी सहायता करता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल का ज्यादा लेवल धमनियों की भीतरी दीवारों में जम कर ब्लड सर्कुलेशन में बाधा डालता है तथा हार्ट तक पर्याप्त ब्लड को पहुँचने नहीं देता । इससे हार्ट अटैक और सिरोसिस जैसे लीवर की बीमारी और नॉनक्लॉजिक स्टीटोहेपेटाइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है।
डॉ प्रवीण झा, एमडी, डीएम, कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल ने आगे कहा, " अगर आप 20 साल या उससे ज्यादा के हैं तो आपको अपने कोलेस्ट्राल के लेवल को हर चार से 6 साल में चेक करवाते रहना चाहिए। लेकिन अगर आपके परिवार में किसी को ज्यादा कोलेस्ट्राल लेवल होने की समस्या है तो आपको अपना कोलेस्ट्राल नियमित रूप से कराना चाहिए। अपने शरीर में ज्यादा कोलेस्ट्राल के लेवल के खतरे को कम करने के लिए आपको हेल्थी डाईट खानी चाहिए। हेल्थी डाईट आपके शरीर में कोलेस्ट्राल के लेवल को संतुलित कर सकती है। जो फ़ूड सैचुरेटेड और ट्रांस फैट वाले हो जैसे कि मख्खन, डेयरी प्रोडक्ट, रेड मीट खाने से बचना चाहिए।"
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